Friday, March 18, 2011

शुक्रवार, 18 मार्च 2011



शुक्रवार, 18 मार्च 2011

युगाब्द 5112, विक्रम संवत् 2067,
शालिवाहन शक (शक संवत्) 1932,
संवत्सर नाम : शोभन
उत्तरायण, बसंत ऋतु।
शुक्रवार, 18 मार्च 2011



मास : फाल्गुन।
पक्ष : शुक्ल ।
वार : शुक्रवार।
तिथि : त्रयोदशी तिथि सुबह 7 बजकर 21 मिनट तक, इसके बाद चतुर्दशी तिथि अर्द्धरात्रि के बाद 3 बजकर 36 मिनट तक, इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू।
नक्षत्र : मघा नक्षत्र दोपहर 2 बजकर 3 मिनट तक, इसके बाद पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र की शुरुआत।
योग : धृति योग दोपहर 1 बजकर 59 मिनट तक, इसके बाद शूल योग शुरू।
करण : तैतिलकरण सुबह 7 बजकर 21 मिनट तक, इसके बाद गरकरण शुरू।
ग्रह स्थिति : चंद्रमा दिन-रात सिंह राशि में संचार करेगा।

प्रस्तुति :शंकर वर्मा। 18 मार्च 2011

Monday, March 14, 2011

मंगलवार, 15 मार्च 2011

मंगलवार, 15 मार्च 2011
मंगलवार, 15 मार्च 2011 युगाब्द 5112, विक्रम संवत् 2067,
शालिवाहन शक (शक संवत्) 1932,
संवत्सर नाम : शोभन
उत्तरायण, बसंत ऋतु।
मंगलवार, 15 मार्च 2011



मास : फाल्गुन।
पक्ष : शुक्ल ।
वार : मंगलवार।
तिथि : दशमी तिथि दोपहर 3 बजकर 35 मिनट तक, इसके बाद एकादशी तिथि शुरू।
नक्षत्र : पुनर्वसु नक्षत्र रात 8 बजकर 31 मिनट तक, इसके बाद पुष्य नक्षत्र की शुरुआत।
योग : शोभन योग अर्द्धरात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक, इसके बाद अतिगंड योग शुरू।
करण : गरकरण दोपहर 3 बजकर 35 मिनट तक, इसके बाद वणिजकरण शुरू।
ग्रह स्थिति : चंद्र मिथुन में, सूर्य मीन में, मंगल कुंभ में, बुध मीन में, गुरू मीन में, शुक्र मकर में, शनि कन्या राशि में, राहु धनु में और केतु मिथुन राशि में स्थित है।
  प्रस्तुति शंकर वर्मा। शुक्रवर15 मार्च 2011

Saturday, March 12, 2011

महात्मा बेनी माधव दास ने मूल गोसाईं.....



महात्मा बेनी माधव दास ने मूल गोसाईं चरित में मीराबाई और तुलसीदास के पत्राचार का उल्लेख किया किया है। अपने परिवार वालों से तंग आकर मीराबाई ने तुलसीदास को पत्र लिखा। मीराबाई पत्र के द्वारा तुलसीदास से दीक्षा ग्रहण करनी चाही थी। मीरा के पत्र के उत्तर में विनयपत्रिका का निम्नांकित पद की रचना की गई।
जाके प्रिय न राम वैदेही
तजिए ताहि कोटि बैरी समजद्यपि परम सनेही ।
सो छोड़िये
तज्यो पिता प्रहलादविभीषन बंधुभरत महतारी ।
बलिगुरु तज्यो कंत ब्रजबनितन्हिभये मुद मंगलकारी ।
नाते नेह राम के मनियत सुहृद सुसेव्य जहां लौं ।
अंजन कहां आंखि जेहि फूटैबहुतक कहौं कहां लौं ।
तुलसी सो सब भांति परमहित पूज्य प्रान ते प्यारो ।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल


आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का (जन्मः1884 ई. देहावसानः1941ई.)
जीवन परिचय 
आर्चाय रामचन्द्र शुक्ल  का जन्म 1884 ई.में बस्ती जनपद के अगोना नामक ग्राम में हुआ। इनके पिता श्री चन्द्रबली  शुक्ल सरकारी कर्मचारी थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा राठ (हमीरपुर)में हुई। इसके पश्चात् इन्होंने मिर्जापुर से हाईस्कुल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद नियमित विद्यालय शिक्षा का क्रम टूट गया। मीरजापुर के ही मिशन कला अध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किए। बाद में ‘शुक्ल जी हिन्दी ‘शब्द सागर के सम्पादन में वैतनिक सहायक के रूप में बनारस आ गये। यही पर काशी नागरीक प्रचारिणी सभा के विभिन्न पदों पर कार्य पूरा करते हुए ख्याति प्राप्त की । आपने कुछ दिनों तक हिन्दी प्रचारिणी पत्रिका का सम्पादन भी किया । कोश का कार्य पूरा हो जाने के बाद आप हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्त हो गये। बाबू शयामसुन्दर दास के अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् आप  हिन्दू विश्वविद्यालय में ही हिन्दी विभाग के विभागध्यक्ष हो गये सन् 1941 ई. में हृदय गति रूकने से आपका देह वासन हो गया