Saturday, December 18, 2010

सगुण काव्य धारा की श्रीकृष्ण .

                                         जीवन परिचय,
रसखान सगुण काव्य.धारा की श्रीकृष्ण .भक्ति शाखा के कवि थे। इनका नया नाम इब्राहीम था। इनका जन्म सन्1533 ई में पिहानी.हरदोई  (उ.प्र) में हुआ था और इनका बचपन तालुकेदारी माहौल में सुख से व्यतीत हुआ। वे बाल्यावस्था में ही पिहानी से दिल्ली आए और वहां राजतन्त्र से जुड़ गए। सन्.1555.56 के लगभग दिल्ली में भीषण राज.विप्लव और अकाल के कारण कवि का हृदय दुःखी हो गया जिसके कारण ये ब्रजधाम पधारे। इन्होंने दिल्ली से ब्रज आने की कथा इस प्रकार दी है.
देखि गदर हित,साहिबी,दिल्ली नगर मसान।
छिनहिं बादसा.बंस की ठसक छोरि रसखान।।
प्रेम निकेतन श्री वनहिं आइ गोबर्धन.धाम।
लहावो सरन चित चाहि कै,जुगल सरूप लालम।।
राज विप्लव से व्यथित होकर ये गोवर्धन चले आए और वहां अपना जीवन श्रीकृष्ण  के भजन कीर्तन में समर्पित कर दिया तथा इन्हें गोस्वामी विटठ्ल नाथ जी ने दीक्षा दी।
रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे, उसी दिव्य प्रेम के सहारे जीवनयापन करते हुए सन् 1618 ई में गोलोक वासी हुए इनकी समाधि महावन में आज भी विद्यमान है।
  प्रस्तुति: शंकर वर्मा। शुनि वार, 17 दिसम्बर 2010

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