Friday, October 29, 2010

मंदिर निर्माण के लिए पूरी भूमि चाहिए : विहिप


मंदिर निर्माण के लिए पूरी भूमि चाहिए : विहिप
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण के लिए न्यायालय द्वारा हिंदू पक्ष को दी गई भूमि नाकाफी है। इसलिए विवादित भूमि का विभाजन मंजूर नहीं किया जा सकता है।


विहिप के अतंरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सम्पूर्ण भूमि यानी 70 एकड़ चाहिए। ध्यातव्य है कि 70 एकड़ भूमि में से 2.77 एकड़ क्षेत्रफल विवादित है। 30 सितम्बर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ का फैसला इसी विवादित भूमि के संदर्भ में है। न्यायालय ने अपने आदेश में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को मामले के तीन पक्षकारों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया है।


श्री सिंहल ने कहा कि न्यायालय ने भूमि का बंटवारा कर दिया है जबकि अपील करने वाले पक्षों में से किसी ने भी अपनी याचिका में ऐसी कोई मांग नहीं की थी। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए न्यायालय द्वारा रामलला विराजमान पक्ष को दी गई भूमि के संबंध में कहा कि इसका क्षेत्रफल इतना कम है कि इतनी भूमि में तो राम जन्म स्थल यानी गर्भ गृह भी पूरा नहीं बन सकेगा।


उन्होंने कहा कि उन्हें निश्चित मॉडल के मंदिर से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी गई जमीन भी गलत है और मंदिर केवल 70 एकड़ भूमि पर ही बनाया जा सकता है।


श्री सिंहल ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय के फैसले से इतर फैसला देगा। उन्होंने कहा- ‘मुझे नहीं लगता कि न्यायालय से बाहर इसका कोई हल खोजा जा सकता है। मामला शीर्ष अदालत में ही जाना चाहिए।’

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