Thursday, October 28, 2010

अयोध्या। संत उच्चाधिकार समिति ने अयोध्या में .....



‘श्रीराम जन्मभूमि का विभाजन स्वीकार नहीं’
अयोध्या। संत उच्चाधिकार समिति ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के विवादित स्थल को तीन भागों में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है। बुधवार को उच्चाधिकार समिति की बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती ने दी।


स्वामी वासुदेवानंद ने कहा- “संत उच्चाधिकार समिति ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के विवादित स्थल को तीन भागों में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय जाने का निर्णय लिया है।” उन्होंने बताया कि यह दायित्व रामलला विराजमान के बालसखा के रूप में पक्षकार त्रिलोकीनाथ पांडेय को सौंपा जायेगा।


संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा कि हम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं जिसमें कहा गया है कि अयोध्या का विवादित स्थल भगवान राम की जन्मस्थली है। उन्होंने कहा कि जन्मभूमि का बंटवारा नहीं हो सकता। श्रीराम और उनका जन्मस्थान सभी हिन्दुओं के लिए पूजनीय है।


श्रीराम जन्मभूमि के बंटवारे को देश के बंटवारे जैसा बताते हुए श्री सिंहल ने कहा कि इस विवाद का समाधान विवादित स्थल के बंटवारे से नहीं हो सकता क्योंकि अदालत ने माना है कि सारी भूमि रामलला की है। सम्पूर्ण विवादित स्थल पर राम मंदिर के भव्य निर्माण का संकल्प दोहराते हुए श्री सिंहल ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि वह संसद में विधेयक लाकर सम्पूर्ण विवादित स्थल राम मंदिर निर्माण के लिए हिन्दू समाज को सौंप दे।


श्री सिंहल ने बताया कि विहिप एवं संत उच्चाधिकार समिति का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से भेंट कर इस संबंध में अपना पक्ष रखेगा।


इस बीच विहिप प्रमुख ने एक बार फिर दोहराया कि ‘अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के भीतर किसी भी तरह की नई मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं होगा।’


बातचीत से अयोध्या विवाद के समाधान की दिशा में चल रहे प्रयासों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “आज से पहले भी कम से कम चार बार बातचीत की दिशा में प्रयास हो चुके हैं, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए।”


विहिप प्रमुख ने इस अवसर पर अयोध्या को एक धार्मिक तीर्थ केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए ‘अयोध्या तीर्थ विकास प्राधिकरण’ का गठन किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण का गठन करके बाल्मीकि रामायण में वर्णित सभी धार्मिक केन्द्रों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।


श्री सिंहल ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला का भव्य मंदिर बनाने के लिए विहिप की ओर से चलाया जा रहा जनजागरण अभियान मंदिर के निर्माण तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि संत उच्चाधिकार समिति के निर्णयों की जानकारी देने के लिए गुरुवार को अयोध्या के सभी स्थानीय संत महात्माओं की एक बैठक बुलायी गयी है।

                             शंकर वर्मा 21 अक्टूबर 2010

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